देश की आजादी मिलने तक दक्षिणी शाहाबाद में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कोई भी महाविद्यालय नहीं था । अतः सासाराम के शिक्षा प्रेमियों, समाज सेवियों एवं आम नागरिकों के मध्य एक महाविद्यालय की स्थापना का विचार उत्पन्न होना स्वाभाविक था । विचारों की इसी कड़ी में संभ्रांत नागरिक एवं बु(िजीवियों के साथ मिलकर स्थानीय न्यायपालिका के असिस्टेंट सेशन जज श्री राध प्रसाद सिंह द्वारा महाविद्यालय की स्थापना 1948 ई0 में की गई, जिसका नाम सासाराम महाविद्यालय, सासाराम रखा गया था । किन्तु प्रस्तावित महाविद्यालय के संस्थापकों ने डालमिया ग्रुप के जैन परिवार से महाविद्यालय के निर्माण में सहयोग का प्रस्ताव रखा जिसे शांति प्रसाद जैन महाविद्यालय के रूप में नाम परिवर्तन की शर्त पर सहयोग देने का वचन दिया, जिसे संस्थापकों ने स्वीकार कर लिया । प्रसि( उद्योगपति, समाजसेवी तथा शिक्षा प्रेमी शान्ति प्रसाद जैन की आर्थिक मदद से इस महाविद्यालय की आधरभूत संरचना को मूत्र्त रूप दिया गया । सर्वसम्मति से महाविद्यालय का नाम शांति प्रसाद जैन महाविद्यालय रखने का निर्णय लिया गया ।
>पटना विश्वविद्यालय के द्वारा 26 जुलाई 1950 को इस महाविद्यालय को संब(ता मिली और 1 अगस्त 1950 को अधिकारिक रूप में इसकी स्थापना तिथि मनाई गई। इसका नामकरण शान्ति प्रसाद जैन महाविद्यालय, सासाराम किया गया जिसके प्रथम प्रधनाचार्य श्री कमलेश्वरी शरण बनाये गए। अतः सर्वप्रथम उनकी अध्यक्षता में उस समय के वरिष्ठ अध्विक्ता श्री जगन्नाथ पाण्डेय इस महाविद्यालय के सचिव पद पर आसीन हुए। इसका वर्ग संचालन ओझा टाउन हाॅल परिसर में प्रारम्भ हुआ । स्थापना के प्रथम लगभग छः महीने के अन्तराल तक श्री एस0 हमीद अली, बार-एट-ला महाविद्यालय के प्रथम प्रभारी प्रधनाचार्य के रूप में पदासीन हुए ।
स्थानीय शिक्षाविदों के संयुक्त प्रयास से भूमिदाताओं के रूप में हसनैन अली खान, रामेसर राम, शिवनारायण साह, नन्हकू ¯सह, बाबू विश्वनाथ ¯सह, राजाराम साह, ठाकुर महतो जैसे अनेक छोटे-बड़े श्र(ालुओं ने स्वेच्छा से महाविद्यालय स्थापना में अपना सकारात्मक योगदान प्रदान किया । फलस्वरूप आज महाविद्यालय के पास अपनी कुल 16 एकड़ 68 डिसमिल जमीन विद्यमान है। बाद में छात्रों की संख्या दिनानुदिन बढ़ने लगी । फलस्वरूप महाविद्यालय परिवार का भी विस्तार हुआ । बिजली शहीद के निकट के मकान को किराए पर लिया गया और टाउन स्कूल के बोर्डिंग का भी उपयोग होने लगा। बाद में वह भवन प्राचार्य निवास बना। इस प्रकार अनेक उत्थान-पतन के बाद सन् 1954 में बिहार के प्रथम मुख्यमंत्राी माननीय श्रीकृष्ण सिंह जी के कर-कमलों द्वारा इसका उद्घाटन वर्तमान परिसर में हुआ। विकास की कड़ियाँ शासी निकाय के अनेक सदस्यों यथा श्री राजाराम साहु, श्री पी0 पोद्दार, श्री जगन्नाथ प्रसाद सिंह आदि के कुशल नेतृत्व में समृ( होती गई एवं विकास के कई आयाम जुड़ते चले गए । भारत सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्राी श्रीमती इंदिरा गाँध्ी ने 20 फरवरी, 1965 को गैलरी कक्ष का उद्घाटन किया । प्रारम्भिक प्रधनाचार्य के रूप में श्री कमलेश्वरी शरण ने स्थापना काल से लेकर लगभग डेढ़ दशक से अध्कि समय तक इस महाविद्यालय के निर्माण में सहयोग दिया। दूसरे प्रधनाचार्य श्री रामेश्वर सिंह काश्यप हुए तथा संस्थापक शिक्षकों में श्री राम लखन राम, श्री चन्द्रशेखर सिंह, श्री सुहास रंजन राय, श्री पाण्डेय विश्वनाथ, श्री अयोध्या प्रसाद सिन्हा, श्री अखौरी जगन्नाथ सहाय, श्री चन्द्रशेखर उपाध्याय, श्री अजहर हुसैन आदि का विशिष्ट योगदान रहा। इस प्रकार समय-समय पर अनेक विद्वान शिक्षकों एवं कर्मठ कर्मचारियों ने अपना खून-पसीना एककर इस महाविद्यालय को प्रतिष्ठित करने में अपनी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक भूमिका निभायी ।
अंगीभूतिकरण के प्रथम चरण में दिनांक 01-04-1975 को यह महाविद्यालय मगध् विश्वविद्यालय, बोध्गया की अंगीभूत इकाई के रूप में परिवर्तित होकर वर्तमान में वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा की सशक्त इकाई के रूप में विद्यमान है। विज्ञान, कला एवं वाणिज्य संकायों के सभी विषयों में प्रतिष्ठा स्नातक स्तरीय अध्यापन व्यवस्था के अतिरिक्त रसायन विज्ञान, हिन्दी, अंग्रेजी, इतिहास, राजनीतिशास्त्रा, गणित, अर्थशास्त्रा, जंतुविज्ञान एवं वनस्पतिशास्त्रा जैसे विषयों में स्नातकोत्तर स्तर के अध्यापन की व्यवस्था विगत कई वर्षो से संचालित है। महाविद्यालय परिसर में अवस्थित इग्नू अध्ययन केन्द्र में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तरीय अनेक पाठ्यक्रम संचालित हैं यथा-B.A, B.Sc, B.Com, M.A., M.Sc; अंगे्रजी, हिन्दी, राजनीति विú, इतिहास, अर्थशास्त्राद्ध, एमú काॅमú, तथा स्नातकोत्तर डिप्लोमा कोर्स।
विगत 2006-07 से स्ववित्तपोषी योजनान्तर्गत BCA, BBA एवं B.Sc Biotechnogy कोर्स प्रारम्भ किया गया है। उपर्युक्त सभी पाठ्यक्रमों में इस महाविद्यालय के अनेक छात्रा-छात्राओं ने सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर महाविद्यालय को कीर्तिमान स्थापित करने वाले महाविद्यालयों के दर्जे में प्रतिस्थापित किया है। वर्ष 2015 से B.Ed पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया गया है। विश्वास है कि इसमें विकास एवं गुणवत्ता की अनेक कड़ियाँ जुटेंगी एवं यह महाविद्यालय रोहतास जनपद के युवाओं, शिक्षाविदों एवं आम जनमानस के पटल पर अपना स्वरूप उत्कृष्ट कर उन्हें अपनी ओर आकर्षित करेगा ।